*तुझसे मिलूंगा!*
*”मैं वहां,तुझ से मिला करूंगा;”(निर्गमन 25:22)।
*एक लड़का यह सोचता था कि आकाश और पृथ्वी एक अंतराल पर मिलते हैं और वह उस निश्चित स्थान के पास जाना चाहता था। वह स्थान कैसा होगा इसके बारे में कल्पना किया करता था। उसकी सोच थी कि आकाश और पृथ्वी दूर एक स्थान में मिलते हैं और उसने उस दूर स्थान की ओर चलना शुरू कर दिया। उस स्थल की ओर चलने का उसका प्रयास अंतहीन सा हो गया। वह एक प्रयास करता, लंबी दूरी तय करता लेकिन थकावट के कारण घर वापस आ जाता था। वह कई दिशाओं में यह प्रयास करता रहा।*
*एक दिन, उसने अपने पासबान से संपर्क किया और इस विषय पर उनकी व्याख्या मांगी। आरम्भ में, पासवान लड़के की व्याख्या का तुरंत जवाब देने में असमर्थ रहे, लेकिन थोड़ा सोचकर, उन्होंने एक क्रूस(सूली) का चित्र बनाया। उन्होंने कहा कि खड़ी रेखा आकाश को दर्शाती है और आड़ी रेखा पृथ्वी को निरूपित करती है। वह बिंदु जिसमें दोनों रेखाएँ मिलती हैं, वह स्थान है जहाँ यीशु ने अपना जीवन दिया था। लड़के को यह बात समझ में नहीं आई।*
*कुछ साल बीत गए, परमेश्वर ने उसकी अंतर्दृष्टि खोल दी और वह लड़का और अधिक ज्ञानवान हो गया,। उसको एहसास हुआ कि कैसे यीशु मसीह, जिसने यह सब कुछ रचा है वह मानव जाति के उद्धार के लिए इस पृथ्वी पर आया। इस प्रक्रिया में, उसने सूली पर अपना जीवन बलिदान कर दिया। हाँ। आकाश और पृथ्वी केवल यीशु मसीह में मिलते हैं।*
*पुराने नियम में, परमेश्वर के तंबू में वह पवित्र स्थान था, जहां परमेश्वर लोगों से मिलता था। जब परमेश्वर ने मूसा से बात की, तो उसने कहा, “और मैं उसके ऊपर रहकर तुझसे मिला करूंगा; और इस्राएलीओ के लिए जितनी आज्ञाएं मुझ को तुझे देनी होंगी, उन सभों के विषय में प्रायश्चित के ढकने के ऊपर से और उन करूबों के बीच में से, जो साक्षीपत्र के संदूक पर होंगे, तुझ से वार्तालाप किया करूंगा”(निर्गमन 25:22)।*
*आज, कलवरी का क्रूस करुणा के आसन के रूप में खड़ा है। वही है जो स्वर्ग के लिए रास्ता खोलता है। यीशु मसीह से क्रूस पर मिले बिना, कोई भी स्वर्ग नहीं पहुंच सकता है। जब तक आप यीशु मसीह के लहू से अपने पापों को धो ना ले, तब तक आप कभी भी पापों की क्षमा प्राप्त नहीं कर सकते और ना ही पवित्र परमेश्वर के करीब पहुंच सकते हैं।*
*जिस तरह उस लड़के ने आकाश और पृथ्वी के मिलने वाले स्थान तक चलने का प्रयास किया, उसी तरह साधु सुंदर सिंह भी शांति और सच्चे परमेश्वर की तलाश में चले। वह गुफाओं में रहने वाले संतों से मिले, लेकिन निष्कर्षों से संतुष्ट नहीं होने के बाद उन्होंने अपनी खोज जारी रखी। लेकिन अंत में, जब उनको क्रूस पर चढ़े यीशु मसीह का सपना दिखा , तो वे आकाश और पृथ्वी को उसमें मिलते हुए देखकरआनंदित हुए।*
*परमेश्वर के प्यारे बच्चों, यदि आप सच्चे परमेश्वर से मिलना चाहते हैं, तो क्रूस के और निकट आएं। परमेश्वर की स्तुति करें जिससे आप अपने पूरे जीवनकाल के लिए क्रूस पर मिले, और आनन्दित हों। आपके यह दिन परमेश्वर के लिए जीने वाले दिन हों। ये दिन आपके लिये, यीशु मसीह की शक्ति और सामर्थ्य को प्रकट करने वाले दिन हो जाएं।*
*ध्यान करने के लिए:”हे यहोवा, अपनी प्रजा पर की प्रसन्नता के अनुसार मुझे स्मरण कर, मेरे उद्धार के लिए मेरी सुधि ले(भजन संहिता 106:4)।*
*आज की बाइबिल पढ़ने*
*सुबह – यशायाह : 17,18,19*
*संध्या – इफिसियों : 5:17-33*
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