अंत के समय में! “तब बहुत से ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे को पकड़वाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे।” (मत्ती 24:10)।

अंत के समय में!

“तब बहुत से ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे को पकड़वाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे।” (मत्ती 24:10)।

आपने अंतिम दिनों में प्रवेश कर दिया है जिसमें दुष्टता अपने पूरे चरम पर है और जिसमें विश्वासघात काफी ज्यादा है। पवित्र शास्त्र कहता है ‘उन दिनों में कई लोग विश्वास से भटक जाएंगे, विश्वासघात करेंगे और एक-दूसरे के दुश्मन बन जाएंगे ’।

इस विरोध का कारण क्या है? लोगों का एक-दूसरे पर आरोप लगाने का आधार क्या है? यह प्यार की कमी के अलावा और कुछ नहीं है जो इन सभी बातों का कारण है। इन अंतिम दिनों में प्रेम कम हो जाता है। चूंकि लोग आरंभिक प्यार से दूर हो जाते हैं, इसलिए वे एक-दूसरे से नफरत करते हैं। अगर दिव्य प्रेम को दिल में जगह दी जाए, तो वह प्यार सभी पापों को ढांक देगा (I पतरस 4: 8), (नीतिवचन 10:12)। क्या ऐसा नहीं है?

यदि कोई व्यक्ति किसीअपराध करने के लिए पकड़ा जाता है, तो उसका क्या किया जाना चाहिए? क्या हमें उन अपराधों की बदनामी के किस्से पूरी जगह फैलाने चाहिए? या दोषी को अकेला छोड़ दिया जाए? आपको क्या करना चाहिए? आपको न तो उसकी बदनामी करनी चाहिए और न ही उसे सजा दिए बिना छोड़ देना चाहिए। जब दोषी अकेला है, तो दिव्य प्रेम के साथ उसके पास आना चाहिए और उसके द्वारा किये हुए अपराध के प्रभाव का उसे एहसास दिलाया जाना चाहिए। आपको उसके साथ हाथ मिलाकर, आँसूओ के साथ उसके लिए प्रार्थना करके, उसकी आत्मा को परमेश्वर की ओर लाना चाहिए। इन सभी प्रयासों के बाद भी, अगर वह पश्चाताप ना कर सके, तो चुपचाप उससे दूर होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

यहां तक ​​कि अगर वह आपकी बातों पर ध्यान देने से इनकार करता है, तो उसकी बदनामी करने की आदत ना बनाएं। आप कभी ना सोचें कि उसे समूह से अलग किया जाए या उसकी निंदा की जाए। ऐसे व्यक्ति के मन फेरने का प्रयास करना चाहिए ना कि उसके विनाश का (याकूब 5:19, 20)। यह भी सच है कि विशेष रूप से सभा या परमेश्वर की सेवकाई में पवित्रता को प्रभावित करने वाली चीजों को सख्ती से संभाला जाना चाहिए।

परमेश्वर ऐसे लोगों से घृणा करता है जो किसी व्यक्ति के पाप की निंदा लगातार करते रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करने के लिए तैयार है, तो वह परमेश्वर के क्रोध से बच नहीं सकता है। पौलुस प्रेरित कहता है, “अतः हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्यों न हो, तू निरुत्तर है; क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिए कि तू जो दोष लगाता है स्वयं ही वह काम करता है।” (रोमियों 2: 1) ।

नूह के जीवन में घटित हुई संभावना के बारे में सोचें। एक बार नूह, शराब के प्रभाव के कारण बेहोशी की हालत में निर्वस्त्र पड़ा था। उसके बेटे शेम और येपेत ने एक कपड़े से अपने पिता के निर्वस्त्र शरीर को ढँक दिया। लेकिन नूह के दूसरे बेटे हाम के द्वारा किए गए उपहास से व्यथित होकर उसने उसके वंशजों को शाप दिया। इस वजह से, हाम के बेटे कनान को एक अभिशाप के साथ रहना पड़ा। आप भी दूसरों पर आरोप लगाने से बचें, नहीं तो इस तरह के श्राप आपका पीछा भी कर सकते हैं।

परमेश्वर के प्यारे बच्चों, यदि आप परमेश्वर की कृपा लगातार पाना चाहते हैं, तो विनम्रता से जीवन जियें।

ध्यान करने के लिए: “तू क्यों अपने भाई की आंख के तिनके को देखता है, और अपनी आंख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता?” (मत्ती 7: 3)।

आज की बाइबिल पढ़ने

सुबह – श्रेष्ठगीत : 1,2,3
संध्या – गलातियों : 2

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