हे भाई… तेरे द्वारा पवित्र लोगों के मन हरे भरे हो गए हैं। (फिलेमोन : ७)*
सुखी मसीही घर में सच्ची एकता होती है। कितने पति-पत्नी बारबार झगड़ा करते रहते हैं, पर यदि, कोई मेहमान आवे तो वे बहुत सुखी (या प्रसन्न) होने का दिखावा करते हैं।
फिलेमोन का घर सच्चा मसीही घर था। उसके घर में परमेश्वर के वचन को प्रथम स्थान दिया जाता था। फिलेमोन सेवा के लिए यहाँ वहाँ गया नहीं होगा पर वह अपने घर में प्रेम और विश्वास के द्वारा सेवा में जारी रहा। जो कोई उसके घर आते वे परमेश्वर के प्रेम को चखते थे। यह उसके घर का मुख्य लक्षण था। जो कोई वहाँ जाते, उनके लिए वह आदर सत्कार का घर, प्रेम का घर तथा सांत्वना और संगति का घर था।
और, मसीही घर में सभी ही सदस्य एक दूसरे के साथ जुड़े हुए, प्रेम और सेवा के लिये एक मन रखनेवाले होते हैं। चाहे कितने ही मेहमान आयें उन्हें कोई विरक्त नहीं होती। वे हरेक को एक समान ही से देखते हैं। चाहे वे गरीब हों या धनी, ऊँच या नीच, शिक्षित या अशिक्षित वे चाहे किसी भी समय आयें, प्रात:, शाम या मध्यरात्रि को, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
अरखिप्पुस को सहकर्मी कहा गया है कारण कि वह पौलुस के साथ हरेक जगह में जाता था। वे साथ मिलकर सुसमाचार प्रचार करते थे। इस प्रकार पिता और पुत्र के जीवन में परमेश्वर के वचन को प्रथम स्थान दिया जाता था। प्रिय आफिया पूरा साथ देती थी। इसलिए कई पवित्र लोग इस परिवार के द्वारा प्रोत्साहित हुए थे।
और वह घर क्षमा का घर और प्रभु के प्रति अधीनता का घर था। उनके त्याग के द्वारा कई लोग उनके मित्र बने। परमेश्वर की सामर्थ्य और उनका प्रेम वहाँ प्रगट हुआ, परिणाम स्वरुप कई लोगों के जीवन बदल गये, और वे प्रभु का भजन करने लगे। इस प्रकार वह सच्चा मसीही घर था और प्रभु यीशु की मण्डली वहाँ स्थापित हुई।