यीशु ने उनसे कहा, जीवन की रोटी मैं हूँ; जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी पियासा न होगा।” (यूहन्ना ६:३५)*
सदोम का राजा अब्राम के प्रति बहुत ही धन्यवादी हो गया और कहने लगा कि, “प्राणियों को मुझे दे, और धन को अपने पास रख।” यह तो अब्राम के लिए बड़ा इम्तिहान का समय था। सदोम के राजा की अशुद्ध सम्पत्ति में से अब्राम कोई भी भेंट ले यह परमेश्वर की इच्छा नहीं थी। इसलिए परीक्षा पर जय प्राप्त करने के लिए मेल्कीसेदेक रोटी और दाखमधु लेकर उसके पास आता है और अब्राम को आशिष देता है। परीक्षा पर जय प्राप्त करने हेतु बल मिले इस उद्देश्य से अब्राम को यह आत्मिक भोजन दिया गया था। मेल्कीसेदेक हमारे प्रभु यीशु मसीह की प्रतिछाया है। क्योंकि प्रभु हमारे खातिर जीवन की रोटी और महान महायाजक भी बना है (इब्रानियों ७: १- ३)। प्रभु यीशु मसीह हमारी जीवन की रोटी है यह विचार यूहन्ना के छठवें अध्याय में सात बार दिया गया है। प्रभु यीशु को हम किस रीति से खा सकते हैं और किस रीति से पी सकते हैं? विश्वास से और पवित्र आत्मा की सहायता के द्वारा हम कहीं भी और किसी भी समय उसे खा सकते हैं और पी सकते हैं। शारीरिक रीति से हमको जब भूख लगती हैं तब हम खाते हैं और प्यास लगती है तब पानी पीते हैं। वैसे ही आत्मिक रीति से यदि हम भूखे या प्यासे हों तो ही हम प्रभु यीशु को खा-पी सकते हैं और हम इस प्रकार से किसी भी परीक्षाओं पर जय प्राप्त कर सकते हैं। रोज-व-रोज हम में से प्रत्येक को अनेक परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। परन्तु प्रभु यीशु मसीह को हमारा दैनिक भोजन और जल बनाकर परमेश्वर ने विजय का प्रेममय प्रबंध किया है। विश्वास से कहें, ‘प्रभु यीशु, आप ही मेरी रोटी और आप ही मेरा जल हो। आप ही मुझको तृप्त करो, मुझको भीतरी बल प्रदान करो और आज मेरे साम्हने जो जो परीक्षायें आती हों उनका सामना के लिए मुझे बल प्रदान करें। सदोम की वस्तुओं से भ्रष्ट होने से मुझे बचाएँ। आपके, हाँ सिर्फ आपके ऊपर ही पूरा भरोसा रखना मुझे सिखायें। सभी आवश्यकताओं के लिए आपकी ओर देखना मुझे सिखाएँ’। तभी तो, अवश्य ही वह आपके विश्वास को मान देगा।