पर उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती हैं। इसलिए मैं बडे़ आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करुंगा कि मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया करती रहे।” (२ कुरिन्थियों १२: ९,१०)*

 

मेरे मन परिवर्तन के बाद दो वर्ष तक मैं प्रार्थना करता रहा कि परमेश्वर मुझे उसकी सामर्थ्य का रहस्य बताये, जिससे मेरा जीवन जयवन्त और फलवन्त बने। दो वर्ष की प्रार्थना के बाद एक रात परमेश्वरने मुझसे बात करते हुए कहा, ‘बखतसिंग, मुझसे कह, तेरे पाप किस रीति से क्षमा किये गये?’ मैंने उत्तर दिया, ‘प्रभु, मैंने विश्वास किया कि मैं सबसे बड़ा पापी हूँ। और मैंने विश्वास किया की आपने मेरे पाप धोने के लिए आपका लहू बहाया और आपने मेरे पापों को क्षमा किया।’ उसके बाद प्रभु ने मुझसे कहा, ‘अब मुझसे कह, क्या तू ऐसा विश्वास करता है कि तू सबसे निर्बल व्यक्ति है, और तेरे पास किसी प्रकार की सामर्थ नहीं है?’ तुरन्त ही मेरी सब शंकाये अद्दश्य हो गई और मेरे प्रभु के बिना मैं कितना निर्बल और लाचार हूँ उसे समझा। प्रभु अत्यंत विश्वासयोग्य है और वह मेरी निर्बलता को जानता है, इसलिए वह कहता है, ‘मेरा अनुग्रह काफी है।’ वह तो हरेक व्यक्ति के लिए भरपूर अनुग्रह है; पर्याप्त अनुग्रह है। हम कोइ भी क्यों न हों, यदि हम दीन और नम्र रहेंगे तो प्रभु के हाथ में हम अद्भुत हथियार बनेंगे। मैं कह सकता हूँ कि हर पर मैं निर्बल और लाचार हूँ, पर मैं उसके अनुग्रह पर विश्वास रखता हूँ। ऐसा विश्वास हमको उसके राज्य के योग्य बनाता है।

By jesus

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