- जिस समय वे गाकर स्तुति करने लगे उसी समय… जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे,… वे मारे गये। ” (२ इतिहास २०:२२)*
नया जन्म पाने के बाद बाइबल का ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा हम में जागती है। हम समझते हैं कि बाइबल का ज्ञान जैसे जैसे अधिक प्राप्त करेंगे वैसे वैसे हम आत्मिक रुप से बढ़ते जाएँगे। हम चाहे कितनी ही किताबें पढ़ें, और चाहे कितनी ही पदवींओं को प्राप्त करें, परंतु सिर्फ बाइबल ज्ञान द्वारा कोई भी व्यक्ति आत्मिक रुप से वृद्धि पा नहीं सकता। हर समय हरेक वस्तु के लिए प्रभु का धन्यवाद मानने के द्वारा, भजन करने के द्वारा, स्तुति करने के द्वारा, उसकी महिमा करने के द्वारा हम आत्मिक रीति से बढ़ सकते हैं। दिन की शुरूआत कुछ पल शुद्ध भजन में बिताये; किसी भी प्रकार की बिनती या प्रार्थना न लाएँ। प्रभु से कहें कि, ‘प्रभु, मैं आपके पास आता हूँ, आपकी उपस्थिति में सिर्फ आपके साथ रहना चाहता हूँ, आपकी उपस्थिति अनुभव करना चाहता हूँ, आपकी आवाज सुनना चाहता हूँ और आपकी मनोहरता और महिमा देखना चाहता हूँ।’ जब परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने लगते हैं तब उसका भजन करें क्योंकि वह राजाओं का राजा हैं; उसकी दया, भलाई, प्रेम और कृपा के लिए उसकी स्तुति करें; हरेक मुश्किल के लिए उसकी स्तुति करें। आपके कठिन जीवन के लिए उसकी स्तुति करें। उसके कारण दुःखी मत होवें, क्योंकि परमेश्वर कभी भूल नहीं करता। जो कुछ वह हमारे जीवन में आने देता है वह खास हेतु के लिए ही होता है। इसलिए हरेक बात के लिए हमको प्रभु का धन्यवाद मानना चाहिए (फिलिप्पयों ४: ६)। प्रभु हमको मुश्किल परिस्थितियों में रखे, बिमार अवस्था में, दरिद्रता में या हर किसी कष्ट में रखे, तो भी हम उसकी स्तुति, उसका भजन और उसकी महिमा कर सकते हैं, क्योंकि हरेक परिस्थिति खास उद्देश्य से ही वह आने देता है। जैसे जैसे हम उसका भजन करते जाते हैं वैसे वैसे हम वृद्धि पाते जाते हैं।
स्तुति और आराधना विजय का भेद है। एक समय एक बड़ी सेना यहूदा के विरुद्ध चढ़ आयी। सेना की संख्या देखकर ही लोग भयभीत हो गये थे। परन्तु परमेश्वर ने एक नबी को भेजा जिसने नबूवत की कि यहूदा युद्ध में विजयी होगा। लोगों ने उसकी बात पर विश्वास किया और परमेश्वर की स्तुति के गीत गाते गाते उन्होंने युद्ध के लिए कूच की (२ इतिहास २०:२१-२२)। बिना युद्ध किये ही शत्रुओं का नाश हो गया। इसी रीति से, जीवन की हरेक परिस्थिति में प्रभु का भजन, उसकी महिमा और उसके गुणगान करते रहेंगे, तो हमारे विरुद्ध शैतान के जितने भी हमलें हैं उनको हम नाश कर सकते हैं। अधिकांश लोग बाइबल ज्ञान के द्वारा, उपवास और लम्बी प्रार्थनाओं के द्वारा शैतान को परास्त करने का प्रयास करते हैं। वे बहुत ही थोड़े समय में समझ जाते हैं कि ऐसे प्रयत्न शैतान के सामने नहीं चलते और इस कारण वे विफल हो जाते हैं। इस प्रकार आत्मा और सच्चाई से प्रभु का भजन करने के द्वारा, उसकी स्तुति करने के द्वारा हम शैतान को परास्त कर सकते हैं।